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Monday, 13 April 2015

वक्री ग्रह

 वक्री ग्रह 

संकेतनिधि के अनुसार मंगल जब वक्री होता है तब अपने स्थान से तीसरे भाव के प्रभाव को दिखाता है. गुरु वक्री होने पर अपने स्थान से पंचम भाव के फल, बुध अपने स्थान से चतुर्थ भाव का प्रभाव, शुक्र अपने स्थान से सप्तम भाव का प्रभाव और शनि अपने स्थान से नवम भाव के परिणाम देता है.

जातक पारिजात के अनुसार वक्री ग्रह के अलावा शत्रु भाव में किसी अन्य ग्रह का भ्रमण अपना एक तिहाई फल खो देता है.
उत्तर कालामृत के अनुसार जिस तरह से ग्रह अपने उच्च अथवा मूल त्रिकोण राशि में होता है ठीक वैसे ही ग्रह वक्री अवस्था में भी होता है.

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