लग्न का राहु बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न में राहु होने से जातक दीनता में जन्म लेकर कम शिक्षा पाकर भी उच्च स्थान पर आसीन हो जाता है।
ऐसे जातक अति साहसी, उच्चाकाँक्षी, अभिमानी और किसी की परवाह न करने वाले होते हैं।
लग्न में उच्च का राहु (वृषभ का) जीवन के उत्तरार्द्ध में अभूतपूर्व सफलता देता है।
ये व्यक्ति घमंडी व कटुभाषी होने परभी अपनी कार्यकुशलता व राजीनीतिक-कूटनीतिक समझ के चलते लोकप्रिय हो जाते हैं।
लग्न भाव में पुरुष राशि का राहु अक्सर द्विभार्या योग बनाता है।
मेष का राहु जातक को उदार बनाता है।
मिथुन, तुला, कुंभ का राहु दूसरों के कार्यों में दोष देखने वाला बनाता है।
धनु राशि का राहु दूसरों से अलग-थलग रखता है।
वहीं वृश्चिक, मीनऔर मकर का राहु दूसरों के कार्यों में दखलंदाजी करने वाला बनाता है।लग्न का राहु वैवाहिक जीवन के लिए प्राय: अच्छा नहीं होता। देर से विवाह होना, धोखे से विवाह होना, वैचारिक मतभेद रहना आदि देखा जाता है। अत: कुंडली मिलान में इसका ध्यान रखा जाना चाहिए ।
ऐसे जातक अति साहसी, उच्चाकाँक्षी, अभिमानी और किसी की परवाह न करने वाले होते हैं।
लग्न में उच्च का राहु (वृषभ का) जीवन के उत्तरार्द्ध में अभूतपूर्व सफलता देता है।
ये व्यक्ति घमंडी व कटुभाषी होने परभी अपनी कार्यकुशलता व राजीनीतिक-कूटनीतिक समझ के चलते लोकप्रिय हो जाते हैं।
लग्न भाव में पुरुष राशि का राहु अक्सर द्विभार्या योग बनाता है।
मेष का राहु जातक को उदार बनाता है।
मिथुन, तुला, कुंभ का राहु दूसरों के कार्यों में दोष देखने वाला बनाता है।
धनु राशि का राहु दूसरों से अलग-थलग रखता है।
वहीं वृश्चिक, मीनऔर मकर का राहु दूसरों के कार्यों में दखलंदाजी करने वाला बनाता है।लग्न का राहु वैवाहिक जीवन के लिए प्राय: अच्छा नहीं होता। देर से विवाह होना, धोखे से विवाह होना, वैचारिक मतभेद रहना आदि देखा जाता है। अत: कुंडली मिलान में इसका ध्यान रखा जाना चाहिए ।
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