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Sunday, 17 May 2015

वृश्चिक राशि में शनि वक्री

वृश्चिक राशि में शनि वक्री और 18 मई को पड़ने वाली सोमपति मावस
2 नवंबर 2014 से शनि महाराज का गोचर वृश्चिक राशि में है , शनि महाराज का प्रत्येक राशि में प्रवास ढाई वर्ष के लिए होता है ।
आज कल वृश्चिक राशि में शनि महाराज वक्री भी हैं जो की 15 मार्च 2015 से लेकर 2 अगस्त 2015 तक रहेगा ।
शनि महराज के वृश्चिक में रहने से तुला / वृश्चिक / धनु राशि पर साढ़ेसाती रहेगा ।
वृश्चिक मंगल की राशि है जो की अग्नि का कारक है शास्त्र अनुसार पृथ्वी का पुत्र माना गया है ।
शनि लोहे , तेल , हथियार , सीमेन्ट आदि वस्तुओं के स्वामी हैं ।
अग्नि और तेल का ये मिलन वृश्चिक राशि होना संसार पर दुष प्रभाव डालता है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हमे प्राप्त हुआ है '' नेपाल '' में आये भूकम्प से , क्योंकि वृश्चिक राशि में आने वाले अक्षर हैं तो , न , नी , नू , नो , ने , या , यी , यू
नेपाल की राशि वृश्चिक हुई तो शनिदेव की वक्रगति का प्रकोप नेपाल को सहना पड़ा ।
इसी प्रकार जिन कुंडलियों में आठ नंबर का लग्न है यानि वृश्चिक लग्न है उन्हें भी सावधानी से रहना चाहिए । कुंडली के जिस भाव में आठ नंबर राशि आएगी उस भाव से नुक्सान और परेशानी योग बन सकता है इसलिए प्रत्येक लग्न वालों को अपनी कुंडली का विश्लेषण करवा के शनि-शमन नामक शनि शांति उपाय करवा लेना चाहिए ।
इस वर्ष मई के महीने में आने वाली ''सोमपति अमावस'' दिनांक 18 मई 2015 का दिन शनि - राहू - केतू इन तीनों ग्रहों की शांति का सर्वोत्तम दिन है ।

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