यदि आप धन कुबेर बनने का सपना देखते हैं, तो आप अपनी
जन्म कुण्डली में इन ग्रह योगों को देखकर उसी अनुसार अपने
प्रयासों को गति दें।
1 यदि लग्र का स्वामी दसवें भाव में आ जाता है तब जातक अपने
माता-पिता से भी अधिक धनी होता है।
2 मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है।
3 जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब
व्यक्ति धनवान होता है।
4 शनि ग्रह को छोड़कर जब दूसरे और नवे भाव के स्वामी एक
दूसरे के घर में बैठे होते हैं तब व्यक्ति को धनवान बना देते हैं।
5 जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ
जाए तो व्यक्ति को अमीर बना देते हैं।
6 दूसरे भाव का स्वामी यदि ८ वें भाव में चला जाए तो व्यक्ति को
स्वयं के परिश्रम और प्रयासों से धन पाता है।
7 यदि दसवें भाव का स्वामी लग्र में आ जाए तो जातक धनवान
होता है।
8 सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होने पर व्यक्ति अपार धन
पाता है। विशेषकर जब सूर्य और राहू के ग्रहयोग बने।
9 छठे, आठवे और बारहवें भाव के स्वामी यदि छठे, आठवे, बारहवें
या ग्यारहवे भाव में चले जाए तो व्यक्ति को अचानक धनपति बन
जाता है।
10 यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में
शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुंए, दलाली या
वकालात आदि के द्वारा धन पाता है।
11 मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या
पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, खेती से या
भवन से आय प्राप्त होती है
जन्म कुण्डली में इन ग्रह योगों को देखकर उसी अनुसार अपने
प्रयासों को गति दें।
1 यदि लग्र का स्वामी दसवें भाव में आ जाता है तब जातक अपने
माता-पिता से भी अधिक धनी होता है।
2 मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है।
3 जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब
व्यक्ति धनवान होता है।
4 शनि ग्रह को छोड़कर जब दूसरे और नवे भाव के स्वामी एक
दूसरे के घर में बैठे होते हैं तब व्यक्ति को धनवान बना देते हैं।
5 जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ
जाए तो व्यक्ति को अमीर बना देते हैं।
6 दूसरे भाव का स्वामी यदि ८ वें भाव में चला जाए तो व्यक्ति को
स्वयं के परिश्रम और प्रयासों से धन पाता है।
7 यदि दसवें भाव का स्वामी लग्र में आ जाए तो जातक धनवान
होता है।
8 सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होने पर व्यक्ति अपार धन
पाता है। विशेषकर जब सूर्य और राहू के ग्रहयोग बने।
9 छठे, आठवे और बारहवें भाव के स्वामी यदि छठे, आठवे, बारहवें
या ग्यारहवे भाव में चले जाए तो व्यक्ति को अचानक धनपति बन
जाता है।
10 यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में
शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुंए, दलाली या
वकालात आदि के द्वारा धन पाता है।
11 मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या
पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, खेती से या
भवन से आय प्राप्त होती है
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